
सावन माह के शुक्ल पक्ष में मंगलवार को होती है माता मंगला गौरी की पूजा, माता की कृपा से चुटकियों में बन जाते हैं बिगड़े काम
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डिजिटल डेस्क

श्रावण मास में जिस प्रकार सोमवार का महत्व होता है, ठीक उसी प्रकार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के मंगलवार का भी अलग महत्व है।
ज्योतिषाचार्य डॉ सुधानंद झा जी बताते हैं कि सनातन शास्त्र के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के मंगलवार को मंगला गौरी भगवती की पूजा करनी चाहिए।
व्रत करना श्रेयकर, लेकिन पूजा से भी मिलेगा पुण्य
आचार्य कहते हैं कि संभव हो तो व्रत कीजिए या फिर पूजा-अर्चना के बाद बिना लहसुन और प्याज का बना वैष्णो भोजन कर लीजिए। इसके अलावा मीठा भोजन या फलाहार भी कर सकते हैं।
इन परिस्थिति वाले जरूर करें पूजा
आचार्य सुधानंद जी बताते हैं कि मंगला गौरी का व्रत वैसे लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जिनके जीवन में मंगल ग्रह या मंगल दोष से अशांति है। आर्थिक क्षति और व्यावसायिक हानि हो रही है तथा बिना गलती किए दंड मिल रहा है।
मंगल के कारण जिनका दांपत्य जीवन अच्छा नहीं चल रहा है अथवा मंगल ग्रह के दोष से जिनका विवाह नहीं हो रहा है। ऐसे लोग, लड़के या लड़की श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के मंगलवार को मंगला गौरी भगवती की पूजा-अर्चना करें।
माता जानकी ने सबसे पहले की थी यह पूजा

यह पूजा सबसे पहले माता जानकी ने त्रेता युग में की थी और श्रीराम भगवान को पति रूप में प्राप्त किया था। इस अवसर पर माता जानकी ने गया में मंगला गौरी भगवती की स्थापना की।
पूजा की विधि
आचार्य के अनुसार मंगला गौरी भगवती की पूजा दुर्गा जी के चित्र पर कर सकते हैं या भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का जो चित्र है, उस पर भी कर सकते हैं। संभव हो तो अच्छे पंडित को बुला लीजिए। अगर संभव नहीं है तो जैसे दुर्गा जी की पूजा करते हैं, वैसे भी कर सकते हैं। भक्त फूल, बिल्वपत्र, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, वस्त्र, सिंदूर आदि से पूजा करें।
मां दुर्गा ही हैं मंगला गौरी

अमंगल को दूर कर भक्तों के जीवन में मंगल ही मंगल करने वाली दुर्गा जी को ही मंगला गौरी के नाम से भी जाना जाता है।
मां को प्रसन्न करने के लिए ये दो दिन हैं महत्वपूर्ण
सावन मास के शुक्ल पक्ष में 21 जुलाई और फिर 28 जुलाई को मंगलवार पड़ रहा है। शुक्ल पक्ष में पड़ने के कारण दोनों ही दिन मंगला गौरी भगवती की पूजा कीजिए।