
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अध्ययन में जताई आशंका, सार्स कोरोना वायरस-2 का एक छोटा आनुवंशिक उत्परिवर्तन पूरे यूरोप और अमेरिका में सक्रिय
डिजिटल डेस्क
कोरोना वायरस रूप बदलकर और घातक हो सकता है।
अमेरिका के फ्लोरिडा में स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों द्वारा किए गए ताजा अध्ययन में कहा गया है कि नए कोरोना वायरस में परिवर्तन हो सकता है। इसलिए यह अधिक संक्रामक होगा। संस्थान की ओर से हाल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में होने वाले कोविड-19 के कारण वायरल संस्करण अब अधिक सक्रिय है।
कोशिकाओं को संक्रमित करने की क्षमता
संस्थान की प्रयोगशालाओं में किए गए प्रयोगों से पता चला कि सार्स कोरोना वायरस-2 का एक छोटा आनुवंशिक उत्परिवर्तन पूरे यूरोप और अमेरिका में सक्रिय है। यह परिवर्तन कोशिकाओं को संक्रमित करने की वायरस की क्षमता को काफी बढ़ाता है।
इन बिंदुओं पर हुआ शोध
अध्ययन के वरिष्ठ लेखकों का कहना है कि इस उत्परिवर्तन के साथ वायरस ज्यादा संक्रामक हो जाता है, वनिस्पति सेल कल्चर सिस्टम में बिना उत्परिवर्तन वाले वायरस के। अध्ययन में इस बात पर गंभीर मंथन हुआ कि ऐसी क्या वजह है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड-19 के प्रकोप ने स्वास्थ्य प्रणालियों को बहुत जल्द प्रभावित किया, जबकि अन्य स्थानों पर प्रकोप को आसानी से नियंत्रित कर लिया गया। इस बात का भी अध्ययन हुआ कि ऐसा संक्रमण से प्रभावित समुदायों की विशेषताओं की वजह से हुआ या वायरस में कोई बदलाव आया।
डी 614 की उपस्थिति

अध्ययन में बताया गया है कि कैसे सभी वायरस परस्पर परिवर्तित होते हैं और कुछ हद तक बदलते हैं। लेकिन, वे परिवर्तन शायद ही कभी फिटनेस या क्षमता को प्रभावित करते हैं। सार्स सीओवी-2 वैरिएंट के संबंध में महत्वपूर्ण परिवर्तन डी 614 जी म्यूटेशन की उपस्थिति थी।
लेकिन आशान्वित हैं वैज्ञानिक
ये वायरस शुरुआत में क्षेत्रीय स्तर पर संक्रमण के समय मौजूद नहीं थे। हालांकि, विशेषज्ञों ने कहा है कि इस बारे में और अधिक शोध की जरूरत है। फिर भी इस अध्ययन का यह निष्कर्ष है कि कोविड -19 वायरस का अंतत: पता लग जाएगा और वायरस से संक्रमण पर नियंत्रण के उपाय भी खोज लिए जाएंगे।